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संदृष्टि नं. 24
वैक्रियिककाययोग आस्रव 43 वैक्रियिककाययोग में 43 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - मिथ्यात्व 5, अविरति 12, वैक्रियिककाययोग, कषाय 16, नोकषाय 9। गुणस्थान मिथ्यात्व आदि चार होते
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
आस्रव
आस्रव अभाव
1.मिथ्यात्व | 5 [मिथ्यात्व 5]
4[अनन्तानुबन्धी 4]
2.सासादन 3.मिश्र
43 [मिथ्यात्व 5,अविरति 12, वैक्रियिककाययोग, कषाय 16, नोकषाय 38 [उपर्युक्त 43 - मिथ्यात्व 5] 5 मिथ्यात्व5] 34 [उपर्युत38-अनन्तानुबन्धी4] | 9 [मिथ्यात्व 5,
| अनन्तानुबन्धी4] 34 [उपयुक्त
9 [उपर्युक्त
14.अविस्त
6 अप्रत्याख्यान4, वैक्रियिककाययोग, त्रस अविरत]
संदृष्टि नं. 25
वैक्रियिकमिश्रकाययोग आस्रव 43 वैक्रियिकमिश्रकाययोग में 43 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - मिथ्यात्व 5, अविरति 12, वैक्रियिकमिश्रकाययोग, कषाय 16 , नोकषाय 9। गुणस्थान 1, 2, 4 ये तीन होते हैं। गुणस्थान | आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव
आस्रव अभाव 1. मिथ्यात्व | 5 [मिथ्यात्व 5] | 43 [मिथ्यात्व 5,अविरति 12,
वैक्रियिकमिश्रकाययोग, कषाय 16,
नोकषाय9] 2. सासादन | 5 [अनन्तानुबन्धी4, 37[उपर्युक्त 43-6 (नपुंसकचेद, 16 मिथ्यात्व 5, नपुंसकवेद]
स्त्रीवेद | मिथ्यात्व5)] 4.अस्ति 6[अप्रत्याख्यान 4, 33[उपर्युक्त 38-5 (अनन्तानुबन्धी | 10 [मिथ्यात्व 5, वैक्रियिककाययोग, 4, स्त्रीवेद)]
अनन्तानुबन्धी4, स्त्रीवेद सअविरति]
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