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गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
आस्रव
। आस्रव अभाव 10 योग (मनोयोग 4 - सत्य, असत्य, | मिश्र, वैकियिकमिश्र, और उभय, अनुभय, वचनयोग 4- सत्य, | कार्मण काययोग) असत्य, उभय, अनुभय, काययोग 2-14 अनन्तानुबन्धी - औदारिक, वैक्रियिक), कषाय 21 (कषाय | क्रोध, मान, माया, लोभ 12 अप्रत्याख्यान-क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यान - क्रोध, मान, माया, लोभ, संज्वलन - क्रोध, मान, माया, लोभ, 9 नोकषाय - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुंवेद, नपुंसकवेद)]]
4. अविरत 7 [अप्रत्याख्यान - 146 [अविरति - 12 (षट्काय - 11 मिथ्यात्व5-(एकान्त,
क्रोध, मान, माया, पृथ्विकाय, जलकाय, अग्निकाय, | विपरीत, विनय, संशय और लोभ, वैक्रियिक | वायुकाय, वनस्पतिकाय और अज्ञान),आहारकऔर काययोग. वैकियिकमिश्र | सकाय, पाँच इन्द्रियाँ - स्पर्शन, | आहारकमिश्रकाययोग, काययोग,सअविरति। रसना, घ्राण, चक्षु, श्रोत्र तथा मन)|4अनन्तानबन्धी-क्रोध,
13 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | मान, माया, लोभ] असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग 4 - सत्य, असत्य, उभय, अनुभय, काययोग 5 - औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिक मिश्र और कार्मण) कषाय 21 (कषाय 12 अप्रत्याख्यान-क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यान-क्रोध, मान, माया, लोभ, संज्वलन - क्रोध, मान, माया, लोभ, नोकषाय - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुद, नपुंसकवेद)]
5. देशविरत 15 [अविरति - 11/37[अविरति-11(पंचस्थावर- 20[मिथ्यात्व 5
पंचस्थावस्काय- | पृथ्विकाय, जलकाय, अग्निकाय, | (एकान्त, विपरीत, पृथ्वकाय,जलकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और विनय, संशय और अग्निकाय, वायुकाय, पाँच इन्द्रियाँ - स्पर्शन, रसना, | अज्ञान),आहारकऔर वनस्पतिकाय,पाँच |घ्रण, चक्षु,श्रोत्र तथा मन), योग | आहारकमिश्र, औदारिक
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