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मणि पुष्प -६
प्राकृत भारती पुष्प - १८१
महाकवि-श्रीजिवल्लभसूरि-प्रणीतं धर्मशिक्षा - प्रकरणम् [महोपाध्याय जिनपालगणिरचितवृत्तिसमेतम् ]
आशीर्वचन : आगमज्ञ मुनिराज श्री जम्बूविजयजी म०
सम्पादक: साहित्य वाचस्पति म० विनयसागर
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