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स्त्री-प्रत्यय प्राकृत भाषा में स्त्रीलिंग शब्द दो प्रकार के होते हैं : १. मूल स्त्रीलिंग शब्द :
२. प्रत्यय के योग से बने हुए स्त्रीलिंग शब्द : १). मूल स्त्रीलिंग शब्द -
जिन शब्दों का अर्थ ही स्त्रीवाचक हो और जिनके रूप पुल्लिंग और नपुंसकलिंग में नहीं चलते हैं । उनको मूल स्त्रीवाचक शब्द कहते
हैं। जैसे - लता, माला, लच्छी, कहा, गंगा आदि। २). प्रत्यय के योग से बने हुए स्त्रीलिंग शब्द -
वे शब्द जो मूल से स्त्रीवाचक नहीं होते हैं, किन्तु उनमें स्त्री-प्रत्यय जोड़ देने से स्त्रीलिंग की तरह व्यवहार में लाये जा सकते हैं। ऐसे शब्दों के रूप पुल्लिंग व स्त्रीलिंग दोनों में चलते हैं।
अतः 'स्त्री-प्रत्यय वे प्रत्यय हैं जिनके लगने पर पुल्लिंग शब्द
स्त्रीलिंग शब्द हो जाते हैं।" प्राकृत में प्रमुखतया आ और ई स्त्री प्रत्यय के रूप में काम आते हैं। जैसे - (क) बाल (पु.) - बालक, बाल + आ = बाला (स्त्री.) - बालिका
कोइल (पु.) - कोयल, कोइल + आ = कोइला (स्त्री.) - कोकिला तणय (पु.) - पुत्र, तणय + आ = तणया (स्त्री.) - पुत्री । मूसिय (पु.) - चूहा, मूसिय + आ = मूसिया (स्त्री.) - चूही अय (पु.) - बकरा, अय + आ = अया (स्त्री.)- बकरी वच्छ (पु.) - बछड़ा, वच्छ + आ = वच्छा (स्त्री.) - बछड़ी
1 अभिनव प्राकृत व्याकरण द्वारा डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, पृष्ठ 143 (62) प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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