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________________ यह प्रत्यय विज्जु (स्त्री.), पत्त (नपु.), पीअ (पु.), अन्ध (वि.) में विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे - विज्जु + ल पत्त पीअ + अन्ध + ल (v) ल नव + ल्ल एक + ल्ल क. + ल ख. ग. (iv) ल्ल प्रत्यय : (हेम - 2/165) यह प्रत्यय नव (वि.), एक (वि.) इन शब्दों में विकल्प से जोड़ा जाता है । जैसे - - = • विज्जुल > विज्जुला (स्त्री.) अथवा विज्जु (स्त्री.) (बिजली) = 5 = = पत्तल (नपु.) अथवा पत्त (नपु.) (पत्ता) पीअल (पु.) अथवा पीअ (पु.) (पीला रंग ) पीअल (वि.) अथवा पीअ (वि.) (पीले वर्ण वाला) अन्धल (वि.) अथवा अन्ध (वि.) (अन्धा) = यह प्रत्यय संज्ञा और विशेषण में विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे Jain Education International नवल्ल (वि.) अथवा नव (वि.) (नूतन) एकल्ल (वि.) अथवा एक (वि.) (अकेला ) अ, इल्ल और उल्ल प्रत्यय : चन्द + अ हिअय + अ गयण + अ बहुअ + अ पल्लव + इल्ल पुर इल्ल मुह + उल्ल हत्थ + उल्ल = गयणअ (नपु.) अथवा गयण (नपु. ) ( गगन) बहुअअ (वि.) अथवा बहुअ (वि.) (बहुत) पल्लविल्ल (पु.) अथवा पल्लव (पु.) (पत्ता) पुरिल्ल (नपु.) अथवा पुर (नपु.) (नगर) मुहुल्ल (नपु.) अथवा मुह (नपु.) (मुख) हत्थुल्ल (पु., नपु.) अथवा हत्थ (पु., नपु.) (हाथ) 113 चन्दअ (पु.) अथवा चन्द (पु.) ( चन्द्रमा) हिअयअ (नपु.) अथवा हिअय (नपु.) (हृदय) = प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक - तद्धित-स्त्रीप्रत्यय - अव्यय For Private & Personal Use Only (59) www.jainelibrary.org
SR No.002701
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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