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(ii)
लोभत्तो/लोभाओ/आदि कोहो पभवइ/पभवए/आदि (लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है।)
9. जिससे किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना की जाए, उसमें पंचमी होती है।
जैसे -
(i) धणत्तो/धणाओ/आदि णाणं गुरुतरं अत्थि। (धन से ज्ञान अच्छा है।) (ii) राइणो/रण्णो मंत्ती कुसलतरो अत्थि। (राजा से मंत्री अधिक कुशल
है।) 10. पंचमी के स्थान में कभी कभी कहीं कहीं तृतीया और सप्तमी पाई जाती
है। जैसे - (i) सो चोरेण बीहइ (वह चोर से डरता है।)
(पंचमी के स्थान पर तृतीया)। (ii) तुम सज्झाये पमायसि/आदि (तुम स्वाध्याय में प्रमाद करते हो।)
(पंचमी के स्थान में सप्तमी)। 11. 'विणा' के योग में पंचमी भी होती है। (द्वितीया और तृतीया विभक्ति के
अतिरिक्त) जैसे(i) रामत्तो 5/1 विणा सीया ण सोहइ/आदि (राम के बिना सीता नहीं
शोभती है।) रामेण 3/1 रामं 2/1 विणा सीया ण सोहइ/आदि (राम के बिना सीता नहीं शोभती है।)
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प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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