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समास में अधिकतर प्रथम शब्द का अंतिम स्वर ह्रस्व हो तो दीर्घ हो जाता है और दीर्घ हो तो ह्रस्व हो जाता है। इसका कोई निश्चित नियम नहीं है ।
ह्रस्व स्वर का दीर्घ : (हेम - 1/4 )
अन्त + वेई
सत्त + वीस
=
पइ + हरं
वेणु + वणं
दीर्घ स्वर का ह्रस्व : (हेम - 1/4 )
जउँणा + यडं= जउँणयडं (यमुनातट) अथवा जउँणायडं
नई + सोत्तं
नइसोत्तं (नदि का स्रोत) अथवा नईसोत्तं
=
अन्तावेई (गंगा-यमुना के बीच का भूभाग) अथवा अन्तवेई
सत्तावीस (सत्ताईस) अथवा सत्तवीस
पईहरं (पति का घर) अथवा पइहरं
वेणूवणं (बाँसका जंगल) अथवा वेणुवणं
बहू + मुहं
द्वित्व भाव की प्राप्ति : (हेम - 2 / 97 )
समास में उत्तरपद के प्रथम वर्ण का विकल्प से द्वित्व हो जाता है।
देवत्थुई अथवा देव - थुई (देवता की स्तुति )
कुसुमप्पयरो अथवा कुसुम - पयरो ( फूलों का समूह )
बद्धप्फलो अथवा बद्ध- फलो (करंग का पेड़)
आणालक्खंभो अथवा आणाल-खंभो (हाथी बाँधने का खंभा )
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बहुमुहं (वधू का मुख) अथवा बहूमुहं
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक -तद्धित- स्त्रीप्रत्यय - अव्यय
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