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जिन शब्दों का समास किया जाता है उन्हें अलग-अलग कर देने को विग्रह
कहते हैं ।
1. दंद समास ( द्वन्द्व समास )
दो या दो से अधिक संज्ञाएँ एक साथ रखी गई हों तो वह द्वन्द्व समास कहलाता है । जैसे- 'माता-पिता', 'सगा सम्बन्धी' । ये दोनों उदाहरण द्वन्द्व समास के हैं। उसी प्रकार 'पुण्णपावाई', 'जीवाजीवा', 'सुहदुक्खाई', 'सुरासुरा' आदि उदाहरण भी द्वन्द्व समास के है। दो या दो से अधिक संज्ञाओं को च (य) शब्द द्वारा जोड़ा गया हो, तो वह भी द्वन्द्व समास कहलाता है, जैसे
पुण्णं च पावं च पुण्णपावाई ।
जीवा य अजीवा य जीवाजीवा ।
सुहं च दुक्खं च सुहदुक्खाई।
रूवं य सोहग्गं य जोव्वणं य रूवसोहग्गजोव्वणाणि ।
द्वन्द्व समास द्वारा बने शब्द अधिकतर बहुवचन में रखे जाते हैं । द्वन्द्व समास के विग्रह में य, अ अथवा च प्रयुक्त होता है ।
2. तप्पुरिस समास ( तत्पुरुष समास )
जिस समास का पूर्व पद अपनी विभक्ति के सम्बन्ध से उत्तरपद के साथ मिला हुआ हो वह तत्पुरुष समास कहलाता है। इस समास का पूर्व पद द्वितीया विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति तक होता है। पूर्व पद जिस विभक्ति का हो, उसी नाम से तत्पुरुष समास कहा जायेगा ।
बिइआ विभत्ति तप्पुरिस ( द्वितीया तत्पुरुष), तइया विभत्ति तप्पुरिस (तृतीया तत्पुरुष), उत्थी विभत्ति तप्पुरिस (चतुर्थी तत्पुरुष), पंचमी विभत्ति तप्पुरिस (पंचमी तत्पुरुष), छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस (षष्ठी तप्पुरुष) और सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस ( सप्तमी तत्पुरुष ) ।
अतीत, पडिअ,
(i) बिइआ / बीओ विभत्ति तप्पुरिस (द्वितीया तत्पुरुष ) गअ, पत्त और आवण्ण शब्दों के योग में द्वितीया विभक्ति के आने पर द्वितीया - तत्पुरुष समास होता है । जैसे
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक - तद्धित- स्त्रीप्रत्यय - अव्यय
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