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धरसेणाइरियं
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पादमूलमुवगया
जहाछंदाईणं संसार-भय-वद्धणमिदि
परिक्खा-काउमाढत्ता
आहारत्थी एगंतमवक्कमंति समणाउसो अगुत्तिंदिए दिसावलोयं पाठ 14 = चिट्ठी
पैरा संख्या तेणिंदभूदिणा बारहंगाणं गंथाणमेक्केण जादेत्ति दुविहमवि परिवाडिमस्सिदूण - सव्वेसिमंगपुव्वाणमेग्गदेसो दक्खिणावहाइरियाणं धरसेणाइरियवयणमवधारिय धवलामल-बहु-विहविणय-विहूसियंगा = तिक्खुत्ताबुच्छियाइरिया - कुंदेंदु-संखवण्णा
हियय-णिव्वुइकरेत्ति अहियक्खरा विहीणखरा छट्ठोववासेण हीणाहियक्खराणं छुहणावणयण-विहाणं तत्थेयस्स
अत्थ-वियत्थ-ट्ठिय-दंतपंतिमोसारिय
=
2
गुरु-वयणमलंघणिजं चिंतिऊणागदेहि - 5 पुष्फयंताइरियो पुप्फयंतआइरिएण पमाणाणुगममादिं 5 भूदबलि-पुप्फयंताइरिया = 5
प्राकृतव्याकरण : सन्धि-समास-कारक -तद्धित-स्त्रीप्रत्यय-अव्यय
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