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1
मुहु
अज्ज
(iii) तृतीय स्वर पर अनुस्वार का आगम :
उवरि >
उवरिं (ऊपर)
(6)
अइमुत्तय >
6.2 अनुस्वार लोप : (हेम - 1 / 29 )
7) अव्यय -
>
>
(i) प्रथम स्वर पर अनुस्वार का लोप :
सिंह
सीह (सिंह)
किं
कि (क्या)
(ii) द्वितीय स्वर पर अनुस्वार का लोप :
कहं
कह (कैसे)
ईसिं
ईसि (थोड़ा)
एवं
दाणिं
1
>
मुहुं (बारबार)
अज्जं (आज)
>
एव ( इसप्रकार )
दाणि (इस समय)
(iii) तृतीय स्वर पर अनुस्वार का लोप :
इयाणिं >
इयाणि (इस समय )
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- सन्धि' :
(अइमुंत्तय ) (एक प्रकार की लता )
>
अव्यय पदों में सन्धिकार्य करने को अव्यय सन्धि कहा गया है । यद्यपि यह सन्धि भी स्वर सन्धि के अन्तर्गत ही है, तो भी विस्तार से विचार करने के लिए इस सन्धि का पृथक् उल्लेख किया गया है।'
अभिनव प्राकृत व्याकरण द्वारा डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री पृष्ठ १९ - २०
प्राकृतव्याकरण: सन्धि-समास-कारक - तद्धित- स्त्रीप्रत्यय - अव्यय
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