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________________ 15. अदेल्लुक्यादेरत आः 3/153 अदेल्लुक्यादेरत आः (अत्) + (एत) + (लुकि) + (आदेः) + (अतः) + (आ.)} {(अत्) - (एत्) - (लुक) 7/1} आदेः (आदि) 6/1 अतः(अत्) 6/1 आ: (आ) 1/ (प्रेरणार्थक प्रत्ययों में से) अत्→ अ, एत् → ए. लोप (0) प्रत्यय परे होने पर आदि अत् → अ का आ (होता है)। प्रेरणार्थक प्रत्ययों में से अ. ए. '0' प्रत्यय परे होने पर आदि अत् → अ का अ होता है। (हस + अ) = हस → हास (हस + ए) = हसे' → हासे (हस + '0') = हस → हास नोट - इस सूत्र की व्याख्या के अनुसार कुछ व्याकरणकार आवे और आदि प्रत्ययों का सद्भाव होने पर भी आदि 'अ का 'आ' होना स्वीकार करते हैं जैसे -करावे → कारावे, करावि → कारावि। 16. मौ वा 3/154 मौ (मि)7/1 वा = विकल्प से मि परे होने पर (अन्त्य 'अ' का) विकल्प से (आ होता है)। अकारान्त क्रियाओं से परे मि होने पर अन्त्य 'अ' का विकल्प से 'आ' होता है। (हस+मि) = हसमि, हसामि (वर्तमान काल, उत्तम पुरुष, एकवचन) (देखें सूत्र - 3/141) 17. इच्च मो-मु-मे वा 3/155 इच्च मो-मु-मे वा (इत्) + (च) इत् (इत्) 1/1 च = और (मो) ---- (मु) -- (म) 7/1] वा= विकल्प से 20 प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002699
Book TitlePraudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2002
Total Pages96
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size3 MB
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