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(हो + न्ति, न्ते, इरे) = होन्ति, होन्ते, होइरे नोट - हेमचन्द्र की इस सूत्र की वृत्ति के अनुसार कभी-- कभी अन्य पुरुष एकवचन में भी 'इरे' प्रत्यय की प्राप्ति देखी जाती है। जैसे - सूसइरे गाम - चिक्खल्लो। मध्यमस्येत्था - हचौ 3/143 मध्यमस्येत्था - हचौ (मध्यमस्य) + (इत्था)} हचौ मध्यमस्य (मध्यम) 6/1 (इत्था) – (हच्) 1/2} मध्यमपुरुष (बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर इत्था और हच् → ह (होते हैं)। वर्तमानकाल में तीन पुरुषों में से मध्यम पुरुष बहुवचन के प्रत्यय थ, ध्वे के स्थान पर इत्था और ह होते हैं। [(थ, ध्वे) → इत्था, ह] (हस + इत्था, ह) = हसित्था, हसह (वर्तमानकाल, मध्यम पुरुष, बहुवचन) (ठा + इत्था, ह) = ठाइत्था, ठाह (हो + इत्था, ह) = होइत्था, होह तृतीयस्य मो-मु-मा : 3/144 तृतीयस्य (तृतीय) 6/1 (मो) – (मु) – (म) 1/3) तृतीय पुरुष (बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर मो, मु, म (होते हैं)। वर्तमानकाल में तीन पुरुषों में से तृतीय पुरुष (उत्तम पुरुष) के बहुवचन के प्रत्यय (मः, महे) के स्थान पर मो, मु, म होते हैं। [(मः, महे) → मो, मु, म] (हस + मो, मु, म) = हसमो, हसमु, हसम (वर्तमान काल, तृतीय पुरुष (उत्तम पुरुष), बहुवचन) (ठा + मो, मु, म) = ठामो, ठामु, ठाम (हो + मो, मु, म) = होमो, होमु, होम
प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ
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