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क्रिया- कृदन्त-सूत्र 1. त्यादीनामाद्यत्रयस्याद्यस्येचेचौ 3/139
त्यादीनामाद्यत्रयस्याद्यस्येचेचौ { (ति) + (आदीनाम्) + (आद्यत्रयस्य) + (आद्यस्य) + (इच्) + (एचौ)। {(ति)- (आदि) 6/3} आद्यत्रयस्य {(आद्य)- (त्रय)6/1} आद्यस्य (आद्य) 6/1{(इच्) - (एच) 1/2} तीन (पुरुषों) में से प्रथम (पुरुष) (अन्य पुरुष) के एकवचन के (प्रत्यय) ति आदि के स्थान पर इच् → इ और एच् → ए (होते हैं)। वर्तमानकाल में तीन पुरुषों में से प्रथम पुरुष (अन्य पुरुष) के एकवचन के प्रत्यय ति आदि के स्थान पर इ और ए होते हैं। [(ति आदि)→ इ.ए] (हस + इ, ए) = हसइ, हसए (वर्तमान काल, प्रथम पुरुष (अन्य पुरुष). एकवचन) (ठा + इ. ए) = ठाइ (ठाए रूप नहीं बनेगा, सूत्र - 3/145) (हो + इ. ए) = होइ (होए रूप नहीं बनेगा, सूत्र -- 3/145) द्वितीयस्य सि से 3/140 द्वितीयस्य (द्वितीय) 6/1 सि (सि) 1/1 से (से) 1/1 द्वितीय (पुरुष के प्रत्यय) के स्थान पर सि, से (होते हैं)। वर्तमानकाल में तीन पुरुषों में से द्वितीय पुरुष (मध्यम पुरुष) के एकवचन के प्रत्यय (सि, से) के स्थान पर सि. से होते हैं। [(सि, से)-→ सि. से] (हस + सि, से) = हससि, हससे (वर्तमान काल, द्वितीय पुरुष (मध्यम पुरुष), एकवचन) (ठा + सि, से) = ठासि (ठासे रूप नहीं बनेगा, सूत्र-3/145) (हो + सि, से) = होसि (होसे रूप नहीं बनेगा, सूत्र--3/145)
प्रौढ प्राकृत--अपभ्रंश रचना सौरभ
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