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________________ 33. अहिलासा (वड्ढ) वर्तमानकाल 35. ससा (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 27. महिला (विज्ज) भविष्यत्काल 29. नणन्दा (चुक्क) वर्तमानकाल 34. कलसिया (तुट्ट) भविष्यत्काल 36. सुया (थंभ) विधि एवं प्राज्ञा 28. कन्ना (लोम) वर्तमानकाल 40. धूमा (उच्छह) विधि एवं प्राज्ञा उदाहरणधूमा/धूम/धूघाउ/धूअउ/धूप्रायो/धूप्रमो ऊतरहिं ऊतरन्ति/ऊतरन्ते/ऊतरिरे । (ग-1) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएँ दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए। संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. ससा (कील, जगड) 2. कन्ना (बिह, ऊतर) 3. धूआ (लुंच, कंद) 4. माया (वम, उवसम) 5. सुया (बिह, लोट्ट) 6. नगदा (छिज्ज, कंद) 7. तणया (कंद, चिराव) 8. झुपडा (वस, हो) 9. महिला (थंभ, उवविस) 10. कन्ना (णच्च, थक्क) उदाहरणससा/सस/समायो/ससो/ससाउ/ससउ कीले/कीलण/कीलणहं कीलणहि। कीलेवि/कीलेविण कोलेप्पि/कीलेप्पिणु जगडहिं/जगडन्ति/जगडन्ते जगडिरे । (ग-2) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएँ तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निनिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए। संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए1. माया (हरिस, जीव) 2. जाग्रा (लोट्ट, चिट्ठ) 68 ] अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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