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________________ उदाहरण धन बढ़े = धरण / धणा / धरण इं/ धरणाई वड्ढन्तु / वड्ढेन्तु । (ख) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट काल में वाक्य बनाइए । संज्ञा एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. विमाण ( उड्डु) विधि एवं आज्ञा 3. धरण (वड्ढ ) विधि एवं प्राज्ञा 5. रज्ज ( चेट्ठ) विधि एवं आज्ञा 7. लक्कुड (जल) भविष्यत्काल 9. पत्त (सुक्क ) विधि एवं आज्ञा 11. गारण (गुंज) भविष्यत्काल 13. धन्न ( उग) वर्तमानकाल 15. वसरग (नस्स) विधि एवं प्राज्ञा 17. पोट्टल ( लुढ) विधि एवं प्राज्ञा 19. भय ( खय) भविष्यत्काल 21. रज्ज (चुक्क) वर्तमानकाल 23. धन्न ( उग ) भविष्यत्काल 25. लक्कुड (जल) वर्तमानकाल 27. पोट्टल (लुढ) भविष्यत्काल 29. बरण ( खय) भविष्यत्काल 31. विमाण ( उड्ड) वर्तमानकाल 33. रायरजरण (पला ) विधि एवं आज्ञा 35. सुत (तुट्ट) वर्तमानकाल 37. णयरजण (कुल्ल ) विधि एवं आज्ञा अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] Jain Education International 2. वसण (नस्स) वर्तमानकाल 4. पोट्टल (लुढ) वर्तमानकाल 6. णयरजण (लोट्ट) विधि एवं आज्ञा 8. णयरजण ( खिज्ज) विधि एवं आज्ञा 10. छिक्क (घट) वर्तमानकाल 12. वत्थ ( सोह) विधि एवं प्राज्ञा 14. खेत (वड्ढ) भविष्यत्काल 16. गाण (गुंज) वर्तमानकाल 18. पत्त (सुक्क) वर्तमानकाल 20. णयरजण (खिज्ज) वर्तमानकाल 22. सोक्ख (वड्ढ ) विधि एवं आज्ञा 24. णयरजण (चेट्ठ) वर्तमानकाल 26. णयरजरण (वस) भविष्यत्काल 28. धन्न ( उग ) विधि एवं आज्ञा 30. भय (नस्स) विधि एवं प्राज्ञा 32. सासण ( पसर) विधि एवं प्राज्ञा 34. विमाण ( उड्डु) भविष्यत्काल 36. वत्थ (जल) वर्तमानकाल 38. खेत्त (नस्स) वर्तमानकाल For Private & Personal Use Only [ 57 www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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