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(7) निम्नलिखित काव्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम, लक्षण व
व्याख्या लिखिए
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(i) सामिणो पियंकराए, सुंदरो पियंकराए।
नाम यमक अलंकार
लक्षण पद एक से हों किन्तु उनमें भिन्नार्थ हो, वहां यमक व अलंकार होता है। व्याख्या उक्त पद्यांश में 'पियंकराए' पद दो बार मिन्न
भिन्न अर्थों में पाया है, एक स्थल पर तो उसका मर्थ प्रियकारी अर्थात् मन, वचन एवं कार्य से प्रिय करनेवाली तथा दूसरा 'पियंकराए' पद रानी का नाम प्रियंकरा वतलाता है ।
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(8) अपभ्रंश के निम्नलिखित कवियों की रचनाओं के नाम व काल
लिखिए तथा उनके विषय बताइए
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(i) कनकामर
रचनाओं के नाम व काल-करकण्डचरिउ, ग्यारहवीं शताब्दी
ईस्वी का उत्तरार्द्ध ।
विषय कथा का प्रमुख पात्र करकण्डु है। इसमें श्रुत
पंचमी के फल तथा पंचकल्याणक विधि का वर्णन
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ]
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