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________________ अभ्यास-3 (क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. मैं भिड़ता हूँ। 2. वह कलह करता है। 3. तुम थकते हो। 4. वे छटपटाते हैं। 5. तुम सब शरमाते हो। 6. हम सब गिरते हैं। 7. वे दोनों रोते हैं। 8. तुम दोनों डरते हो। 9. हम दोनों कांपते हैं। 10. मैं मरता हूँ। 11. वे लड़ते हैं । 12. वह मूच्छित होता है। 13. तुम कूदते हो। 14. हम सब प्रयास करते हैं। 15. वे दोनों खेलते हैं । 16. तुम सब उठते हो । 17. हम दोनों घूमते हैं । 18. वे सब उछलते हैं। 19. तुम सब खुश होती हो । 20. वह बैठती है। 21. मैं थकता हूँ। 22. वे सब लड़ती हैं। 23. हम सब डरते हैं । 24. तुम कांपती हो। 25. वे दोनों शरमाती हैं। 26. तुम दोनों प्रयास करते हो। 27. हम दोनों बैठते हैं । 28. तुम सब कलह करते हो। 29. हम सब मूच्छित होती हैं। 30. मैं छटपटाती हूँ। 31. तुम शरमावो। 32. मैं बैर्छ । 33. वह डरे। 34. तुम दोनों भिड़ो। 35. हम दोनों खेलें। 36. वे दोनों उठे। 37. तुम सब उछलो । 38. हम सब घूमें। 39. वे सब कूदें। 40. तुम प्रयास करो। 41. वह थके। 42. मैं गिरूं। 43. तुम सब छटपटाम्रो । 44. हम दोनों प्रयास करें। 45. वे सब खुश होवें। 46. तुम दोनों मूच्छित होवो। 47. वे दोनों कांपें । 48. हम सब मरें। 49. वह खेले । 50. तुम सब लड़ो। 51. वह बैठे। 52. तुम दोनों उठो । 53. मैं कूदूं। 54. हम सब खुश होवें। 55. तुम सब प्रयास करो। 56. वे दोनों उछलें । 57. हम दोनों भिड़ें। 58. तुम दोनों शरमावो । 59. वे सब डरें। 60. वह घूमे । उदाहरणमैं भिड़ता हूँ-हउं भिडउं/मिडमि/भिडामि/भिडेमि । नोट-इस अभ्यास-3 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ-17 का अध्ययन करें। अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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