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इस प्रकार बहू और साधु की वार्ता भीतर बैठे हुए ससुर के द्वारा सुनी गई । भिक्षा को प्राप्त साधु के चले जाने पर वह अत्यन्त क्रोध से व्याकुल हुआ, क्योंकि पुत्रवधू मुझको लक्ष्य करके कहती है कि (मैं) उत्पन्न नहीं हुआ । वह रूठ गया, (और) पुत्र को कहने के लिए दुकान पर गया । जाते हुए ससुर को वह कहती है-हे ससुर ! आप भोजन करके जाएं। ससुर कहता है यदि मैं उत्पन्न नहीं हुआ हूं, तो भोजन कैसे चबाऊँगा-खाऊँगा। इस (बात) को कहकर दुकान पर गया । पुत्र को सब वार्ता कहता है-तेरी पत्नी दुराचारिणी है और अशिष्ट बोलनेवाली है, इसलिए (तुम) उसको घर से निकालो।
वह पिता के साथ घर में आया । (वह) बहू को पूछता है (तुम्हारे द्वारा) माता-पिता का अपमान क्यों किया गया ? साधु के साथ वार्ता में असत्य उत्तर क्यों दिए गए ? उसके द्वारा कहा गया - तुम्हीं मुनि को पूछो, वह सब कह देंगे । ससुर ने उपासरे में जाकर अपमानसहित मुनि को पूछा हे मुनि ! आज मेरे घर में भिक्षा के लिए तुम क्यों आये ? मुनि ने कहा - तुम्हारे घर को नहीं जानता हूं, तुम कहां रहते हो? सेठ विचारता है कि मुनि असत्य कहता है । फिर पूछा गया क्या किसी भी घर में बाला के साथ वार्ता की गई ? मुनि ने कहा- वह बाला अत्यन्त कुशल है। उसके द्वारा मेरी भी परीक्षा की गई। उसके द्वारा मैं कहा गया . समय के बिना तुम कैसे निकले हो ? मेरे द्वारा उत्तर दिया गया --- समय का-मरण समय का ज्ञान नहीं है, इसलिए आयु के पूर्व में ही निकल गया हूं। मेरे द्वारा भी परीक्षा के लिए ससुर आदि सभी के वर्ष (पायु) पूछे गए (तो) उसके द्वारा (बाला के द्वारा) उचित प्रकार से उत्तर कहे गये। सेठ ने पूछा --ससुर उत्पन्न नहीं हुग्रा, यह उसके द्वारा क्यों कहा गया ? मुनि के द्वारा कहा गया- वह ही पूछी जाए, क्योंकि उस विदुषी के द्वारा यथार्थ भाव जाने जाते (जाने गये) हैं ।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ।
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