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________________ अभ्यास- 45 (क) निम्नलिखित वाक्यों को अपभ्रंश में रचना कीजिए 12. पक्षी के 1. दुर्जन के कारण ही सज्जन सुखी होते हैं । 2. उनके द्वारा सज्जन विख्यात किया जाता है । 3. मरकत मणि कांच से विख्यात होता है। 4. मन, वचन, कर्म से दया करनी चाहिए। 5. दया से पाप नहीं प्राता । 6. छाती में बंधे हुए कवच के कारण घाव नहीं होता है । 7. बहुत गाढ़े बन्धन तोड़ने के लिए कठिन होते हैं । 8 सज्जन भोगों का परिमाण करके इन्द्रियों को दम्भी नहीं बनाता । 9 दूध से पाले हुए काले सर्प अच्छे नहीं होते । 10. कुपात्रों के लिए दान दूषण होता है । 11. गृहस्थ के द्वारा दान दिया जाना चाहिए । भी घर होता है 13. कृपणों के घर में संपदा नहीं होती । 14. समुद्र के खारे जल को कोई नहीं पीता । 15. खारा पानी किसी के भी द्वारा नहीं पिया जाता । 16. पात्रों के लिए थोड़ा भी दिया हुआ बहुत होता है । 17, जो अपने लिए प्रतिकूल है वह दूसरों के लिए नहीं करना चाहिए । 18. स्वकाया से किया हुआ धर्म ही शुद्ध होता है । 19. न्याय से आया हुआ धन ही उज्जवल होगा। 20. सज्जन देह से जीवनलाभ न्त्रित इन्द्रियों से मनुष्य के द्वारा सैकड़ों दुःख प्राप्त किए गए। 22. दुर्जन व्यक्ति की पांचों इन्द्रियां स्वतन्त्र होती हैं । 23. कमलों को देखकर सूर्य हर्षित हुआ । 24 वह दुर्लभ मनुष्यता को प्राप्त करता है। 25. वह ईंधन के प्रयोजन से कल्पतरु काटेगा । करते हैं । 21. अनिय उदाहरण दुर्जन के कारण ही सज्जन सुखी होते हैं = दुज्जरों सुप्रणा सुहिश्र हवहिं / हन्ति । नोट • इस अभ्यास - 45 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश काव्य सौरभ' के पाठ 1 7 का अध्ययन कीजिए । अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only 1 165 www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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