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________________ (4) नागरिक घर गये । --रणयरजण/रणयरजणा/गयरजणइं/रणयरजणाई घर/घरा/घरु गय/गया/ गयइं/गयाइं/गम/गया/गई/गाइ । (5) कन्या घर गई। - कन्ना/कन्न घर/घरा/घरु गया/गय/गमा/गम । (6) पुत्रियां धर गईं। -सुया/सुय/सुयाउ/सुयउ/सुयानो/सुयो घर/घरा/घरु गया/गय/गवाउ/ गयउ/गयाप्रो/गयमो/गा/गम/गाउ/गाउ/गाप्रो/गप्रयो । 2.ख काव्य में गत्यार्थक क्रिया के कर्मवाच्य के प्रयोग बहुत कम मिलते हैं। अतः यहां एक ही उदाहरण दिया जा रहा हैकर्मवाच्य में प्रयोग (1) पुत्र के द्वारा घर जाया गया । -पुत्तें/पुत्तेण/पुत्तेणं घर/घरा/घरु/घरो गय/गया/गयु/गयो/गा/गमा/ गउ/गयो । ___3.क अकर्मक क्रिया से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त का सभी विकल्पों सहित प्रयोगकर्तृवाच्य में प्रयोग मुप्र=मरा (1) शत्रु मरा। -सत्तु/सत्तू मुन/मुग्रा/मुउ/मुप्रो। (2) शत्रु मरे । -सत्तु/सत्तू मुग्र/मुमा । (3) नागरिक मरा। ---णयरजरण/एयरजणा/णयरजणु मुनमुमा/मुउ । (4) नागरिक मरे। -यरजण/णयरजणा/णयरजणइं/णयरजणाई मुत्र/मुत्रा/मुबई/मुप्राई। 146 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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