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________________ (क) निम्नलिखित कर्मवाच्य के वाक्यों का अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए । अनुवाद में कर्मवाच्य के अनियमित क्रियारूपों का प्रयोग कीजिए 1. मेरे द्वारा स्तुति प्रारम्भ की जाती है। 2. उस महिला के द्वारा व्रत किया जाता है । 3. दोनों भाइयों के द्वारा गड्डा खोदा जाता है । 4. कन्याओं द्वारा गीत सुना जाता है। 5. हमारे द्वारा गुरु से शिक्षा ग्रहण की जाती है । 6. सेनापति द्वारा धन इकट्ठा किया जाता है। 7. बालक के द्वारा समुद्र का जल डरते हुए छुपा जाता है । 8. राजा के द्वारा गांव जीता जाता है। 9. उनके द्वारा मेरा घर जलाया जाता है। 10. योगियों द्वारा संसार का दुःख जाना जाता है। 11. बहिन द्वारा भोजन करने के लिए घर जाया जाता है । 12. मुनियों द्वारा आगम जाना जाता है। 13. माता द्वारा पुत्र की अभिलाषा जानी जाती है । 14. महिलाओं द्वारा मुनि की स्तुति की जाती है । 15. उसके द्वारा गाय दूही जाती है । 16. राजा के द्वारा राज्य की शोभा देखी जाती है । 17. योगियों द्वारा मेरा घर पवित्र किया जाता है। 18. मेरे द्वारा रस्सी से गाय बांधी जाती है। 19. श्रमणी के द्वारा व्रत की विधि कही जाती है । 20. राजाओं के द्वारा वैभव भोगा जाता है। 21 माता के द्वारा भागता हुआ पुत्र रोका जाता है। 22. दु:ख के कारण मौसी के द्वारा रोया जाता है । 23. प्रयास करते हुए मामा द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है । 24. उसके द्वारा जामुन का वृक्ष काटा जाता है । 25. बालक के द्वारा मधु चाटा जाता है । 26. महिला के द्वारा वस्त्र काटा जाता है । 27. तुम्हारे द्वारा धन प्राप्त किया जाता है । 28. साधु द्वारा कथा कही जाती है । 29. महिला के द्वारा झोंपड़ी लीपी जाती है। 30 पुत्र के द्वारा धन उपार्जन किया जाता है । 31. मुनि के द्वारा संसार का दुख कहा जाता है। 32. स्वामिनी के द्वारा रत्न प्राप्त किया जाता है। 33. तुम्हारी पुत्री के द्वारा प्रशंसा की जाती है । 34. पुत्री के द्वारा जल से वृक्ष सींचा जाता है। 35. सेनापति के द्वारा शत्रु मारा जाता है । 36. मन्त्री द्वारा राजा का पुत्र हरण किया जाता है। 37. हे परमेश्वर ! मनुष्यों द्वारा प्राप स्तुति किए जाते हो । 38. मेरे द्वारा तुम प्रसन्न होते हुए दिखाई देते हो । 39. सास के द्वारा तुम स्नेहपूर्वक पंखा किए ___140 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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