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अभ्यास-26
(क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । संज्ञा, सर्वनाम व क्रियारूपों
के सभी विकल्प लिखिए -
1. मैं परमेश्वर की पूजा करती हैं। 2. सदाचार अपयश को रोकता है। 3. तुम दूध चखो। 4. पत्नी वस्त्रों को धोयेगी। 5. कन्याएँ छोटे घड़े को उघाड़ती हैं। 6. हनुमान राम का उपकार करता है । 7. तुम भोजन चबानो । 8. कुत्ले धान को उपाड़ते हैं। 9. मनुष्य व्यसन छोड़ें । 10. बहिनें धान पीसेंगी। 11. तृष्णा निद्रा को रोकती है । 12. जुमा मनुष्य को कलंकित करता है। 13. वह बीजों को चुने । 14. देवर सिंहों को देखेगा । 1.5. हम धान कूटते हैं। 16. दादा पोतों को बुलाता है । 17. तुम उनको पुकारो। 18. वे गठरी को काटेंगे । 19. वे दोनों खेत खोदते हैं। 20. महिलाएं व्रतों को धारेंगी। 21. बहिनें पुत्रियों को देखें। 22. हम गंगा का पूजन करेंगे । 23. तुम दोनो लकड़ी छीलते हो । 24. वे सब मदिरा छोड़ें। 25. पुत्रियां वस्त्र धोएं । 26 ननदें भोजन जीमती हैं । 27. राक्षस बच्चों को ठगते हैं । 28. बालक कमल को तोड़ता है। 29. राक्षस बच्चों को ठगेगा। 30. घी भोजन को स्निग्ध करता है। 31. मैं घी डालूंगा। 32. बहिनें नींद छोड़ें। 33. ससुर पत्नी की निन्दा करता है । 34. राजा रत्नों की खोज करता है। 35. तुम सब बादलों को देखो। 36. बेटी धागा तोड़ेगी। 37. नागरिक बालक को ठगता है। 38. मामा शस्त्रों को स्पर्श करता हैं। 39. प्रशंसा चित्त को छूती है। 40. वह सुख की खोज करे। 41. बालक विमान को देखते हैं। 42. तुम घी डालो । 43. दुःख सुख को रोकता हैं । 44. तुम जल को स्पर्श करो। 45. मैं जंगल को काटूंगा। 46. तुम सब भोजन जीमो । 47. भूख प्यास को रोकती है। 48. हम दोनों गड्ढे को खोदें। 49. माता पुत्र को स्पर्श करती है । 50. प्रज्ञा ज्ञान को प्रकट करती है। 51. वह वस्त्रों को फाड़ेगा। 52. राजा गर्व को छोड़े । 53. राक्षस कुत्ते को रोकेगा। 54. पुत्र घास काटे ।
नोट-इस अभ्यास-26 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 52
का अध्ययन कीजए।
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[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
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