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भेजने में बहुत समय खर्च हो जाता है और अध्ययनाथियों को व्याकरण-रचना के अभ्यास के लिए कम समय मिल पाता है। अत:-(1) इस कठिनाई को दूर करने के लिए सभी अभ्यासों को एक पुस्तक का रूप देकर 'अपभ्रंश अभ्यास सौरभ' पुस्तक प्रकाशित की जा रही है । यह पुस्तक सभी अध्ययनार्थियों को प्रारम्भ में ही भेज दी जायेगी और अध्ययनार्थी इन अभ्यासों को निर्दिष्ट योजनानुसार हल करके भेजते रहेंगे । समय जो अभ्यासों को भेजने में लग जाता था, वह अपभ्रंश भाषा को सीखने में लग सकेगा। (2) दूसरी कठिनाई और अनुभव की गई-कई विश्वविद्यालय अपभ्रंश भाषा सिखाने का कार्य प्रारम्भ करना चाहते हैं। उन विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना सुविधाजनक नहीं होता है। वे विश्वविद्यालय इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में लगाकर प्रध्यापन का कार्य अपने ही स्थान पर कर सकते हैं ।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि 'अपभ्रंश अभ्यास सौरम' से अपभ्रंश अध्ययनअध्यापन के कार्य को गति मिलेगी और 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी अपने उद्देश्य की पूर्ति में द्रुतगति से अग्रसर हो सकेगी।
. पुस्तक के प्रकाशन की व्यवस्था के लिए जैन विद्या संस्थान समिति का प्राभारी हूँ । अकादमी के कार्यकर्ता एवं मदरलैंड प्रिंटिंग प्रेस धन्यवादाह हैं ।
वीर निर्वाण दिवस कार्तिक कृष्ण अमावस्या वीर निर्वाण संवत् 2523 दिनांक 11-11-96
डॉ. कमलचन्द सोगारणी
संयोजक जैनविद्या संस्थान समिति
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