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________________ (क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए । संज्ञानों, क्रियानों एवं कृदन्त-रूपों के प्रत्ययों के सभी विकल्प लिखिए । विधि एवं प्राज्ञा के भाववाच्य में क्रिया रूपों एवं विधि कृदन्त दोनों का प्रयोग कीजिए 106 कर्तृवाच्य 1. बालक खेलते हैं । 3. बालक खेले । 5. बालक खेलें । 7. बालक खेलेंगे । 9 माता प्रसन्न होती है । 11. माता प्रसन्न हुई । 13. माता प्रसन्न होवे | 15. माता प्रसन्न होवेगी । 17. मैं सोता हूँ । 19. मैं सोया । 21. मैं सोवूं । 23. मैं सोऊँगी । अभ्यास- 24 उदाहरण बालकों द्वारा खेला जाए = (i) (ii) बालहिं / बालाहि / बाल एहि ] भाववाच्य 2. बालकों द्वारा खेला जाता है । 4. बालकों द्वारा खेला गया । 6. बालकों द्वारा खेला जाए । 8. बालकों द्वारा खेला जायेगा । 10. माता द्वारा प्रसन्न हुआ जाता है । 12. माता द्वारा प्रसन्न हुआ गया । 14. माता द्वारा प्रसन्न हुआा जावे | 16. माता द्वारा प्रसन्न हुआा जावेगा । 18. मेरे द्वारा सोया जाता है । 20. मेरे द्वारा सोया गया । 22. मेरे द्वारा सोया जावे । 24. मेरे द्वारा सोया जायेगा । नोट – इस अभ्यास- 24 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 41 से 48 तक दोहराएं । Jain Education International बालग्रह / बालग्राहि / बालएहि खेलिज्जउ । (क) खेलिश्रठव / खेलिग्रा / खेलिनव्वु / खेले ब्व / खेले अठवा / खेले अब्बु | (ख) खेलेवा/ खेले व्बउ / खेलिएव्वउ । For Private & Personal Use Only 1 अपभ्रंश अभ्यास सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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