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किमः+डिहे-किमो डिहे (सूत्र-27) ङसः+डासु=ङसो डासु (सूत्र-29) आट्टः+ण= प्राट्टो ण (सूत्र-12) प्रामः+हं-ग्रामो हं (सूत्र-9) साहा+वा=साहो वा (सूत्र-37)
13. यदि विसर्ग के बाद त् हो तो विसर्ग के स्थान पर स् हो जाता है
रामः+तरतिरामस्तरति निः+तार=निस्तार
* बिस्तार के लिए देखें : वृहद् अनुवाद चन्द्रिका-सन्धि प्रकरण
(लेखक-चक्रधर नौटियाल)
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[ प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ
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