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हीलणमप्पियवयणं [(हीलणं)+ (अप्पियवयणं)]
हीलणं (हीलण) 2/1 [(अप्पिय) वि-(वयण) 1/1] (समास) क्रिविअ 3/1
= तिरस्कार को = अप्रिय वचन (है) = संक्षेप से
समासेण
11.
जलचन्दणस- [(जल)-(चंदन)-(ससि)-(मुत्ता)सिमुत्ताचन्दमणी (चन्दमणि) 1/2] तह
अव्यय
(णर) 4/1 णिव्वाणं (णिव्वाण) 2/1
णरस्स
ण
अव्यय
= जल, चंदन, चन्द्रमा,
मोती एवं चन्द्रकान्तमणी = उस प्रकार = मनुष्य के लिए = तृप्ति/सुख = नहीं = करते हैं = करता है = जैसी = अर्थयुक्त = हितकारी, मधुर एवं परिमित वचन
करन्ति (कर) व 3/2 सक कुणइ (कर) व 3/1 सक जह
अव्यय अत्थज्जुयं . [(अत्थ)-(ज्जयु) 1/1 वि] हिदमधुरमिदवयणं [(हिद) वि- (मधुर) वि
(मिद)-(वयण) 1/1]
12, . .
.1.91.11 1.1111:11
सच्चम्मि तवो
= सत्य में
= तप
(सच्च) 7/1 . (तव) 1/1 (सच्च) 7/1 (संजम) 1/1
= सत्य में
सच्चम्मि संजमो
= संयम
अव्यय
वसे
.
(वस) व 3/1 अक (सय) 1/2 वि
= तथा = रहता है (रहते हैं) = सैकड़ों = ही
अव्यय
गुणा
गुण
(गुण) 1/2 (सच्च) 1/1 (णिबंधण) 1/1
सच्चं णिबंधणं
सत्य
.
= आधार
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग-2
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