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पाठ - 4
वज्जालग्ग
1.
दुक्खं कीरइ कव्वं कव्वम्मि कए पउंजणा दुक्खं । संते पउंजमाणे सोयारा दुल्लहा हुंति॥
2.
गाहा रुअइ अणाहा सीसे काऊण दो वि हत्थाओ। सुकईहि दुक्खरइया सुहेण मुक्खो विणासेइ॥
3.
गाहाहि को न हीरइ पियाण मित्ताण को न संभरइ। दूमिज्जइ को न वि दूमिएण सुयणेण रयणेण॥
पाइयकव्वम्मि रसो जो जायइ तह य छयभणिएहिं। उययस्स य वासियसीयलस्स तित्तिं न वच्चामो ।।
5.
पाइयकव्वस्स नमो पाइयकव्वं च निम्मियं जेण। ताहं चिय पणमामो पढिऊण य जे वि जाणंति॥
30
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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