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20.
इन्द्र के वज्र (शस्त्र) के द्वारा (किए गए आघात से उत्पन्न पीड़ा के) समान मेरी कमर और (मेरे) हृदय तथा मस्तिष्क में अत्यन्त, तीव्र (और) भयंकर पीड़ा (थी)। (उस पीड़ा ने मुझे) (अत्यधिक) परेशान
किया।
21.
अलौकिक विद्याओं और मंत्रों के द्वारा इलाज करनेवाले, (चिकित्सा) शास्त्र में योग्य, मंत्रों के आधार में प्रवीण, अद्वितीय (चिकित्सा) आचार्य मेरा (इलाज करने के लिए) पहुँचे।
22.
जैसे हितकारी (हो) (वैसे) उन्होंने मेरी चार प्रकार की चिकित्सा की, किन्तु (इसके बावजूद भी) (उन्होंने) (मुझे) दुःख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है)।
23. (हे राजाधिराज!) (जैसे) (तुम्हें) (देना चाहिए) (वैसे) मेरे पिता ने
मेरी (चिकित्सा के) प्रयोजन से (चिकित्सकों को) सभी प्रकार की धन-दौलत भी दी, फिर भी (पिता ने) (मुझे) दुःख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है)।
24.
हे राजाधिराज! मेरी माता भी पुत्र के कष्ट के दुःख से पीड़ित (थी), किन्तु (फिर भी) (मेरी माता ने) (मुझे) दुःख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है)।
25. हे महाराज! मेरे निजी बड़े-छोटे भाइयों ने भी (भरसक प्रयत्न किया)
... किन्तु (उन्होंने) (भी) मुझे दुःख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता
26. हे राजाधिराज! मेरी निजी बड़ी-छोटी बहनों ने भी (भरसक प्रयत्न
किया) किन्तु (उन्होंने) (भी) मुझे दु:ख से नहीं छुड़ाया। यह मेरी अनाथता (है)।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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