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रत्तीए
रात्रि में
पहरे
प्रहर
(रत्ति) 7/1 (पहर) 7/1 (गअ) भूकृ 7/1 अनि (आगच्छ) व 3/2 सक
गये
गए आगच्छेज्जा
आते हैं
अव्यय
कभी
दो-तीन प्रहर
कया दुतिपहरे गए आगच्छति
[(दु)-(ति)-(पहर) 7/1] (गअ) भूकृ 7/1 अनि (आगच्छ) व 3/2 सक
गये
आते हैं
5.
पुरोहिओ कहेइ अज्ज रत्तीए दारं
पुरोहित कहता है (कहा) आज रात्रि में
द्वार
नहीं
उग्याडियव्वं
खोला जाना चाहिए
अहं जागरिस्सं
जागूंगा
(पुरोहिअ) 1/1 (कह) व 3/1 सक अव्यय (रत्ति) 7/1 (दार) 1/1 अव्यय (उग्घाड) विधिकृ 1/1 (अम्ह) 1/1 स (जागर) भवि 1/1 अक (त) 1/2 सवि (दो) 1/2 वि (जामायर) 1/2 (संझा) 7/1 (गाम) 7/1 (विलस) हेकृ (गय) भूकृ 1/2 अनि [(विविह) वि-(कीला) 2/2] (कुण) वकृ 1/2 (नट्ट) 2/2 अव्यय
दोणि
दोनों
जामायरा
संझाए गामे विलसिउं
दामाद सायंकाल गाँव में मनोरंजन के लिए
गये
गया विविहकीलाओ
विविध क्रीडाएँ
कुणंता
नट्टाई
करते हुए नाटक
और देखते हुए
पासंता
(पास) वकृ 1/2
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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