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तीए वियारियं
उसके द्वारा विचार किया गया यौवन में
जोव्वणे
महाव्रत
महव्वयं महादुल्लहं कहं
एएण एयंमि जोव्वणत्तणे गहीयं
(ती) 3/1 स (वियार) भूकृ 1/1 (जोव्वण) 7/1 (महव्वय) 1/1 (महादुल्लह) 1/1 अव्यय (एत) 3/1 स (एत) 7/1 सवि [(जोव्वण)-(त्तण) 7/1] (गहीय) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (परिक्खत्थं) क्रिवि (समस्सा ) 6/1 (पुट्ठ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय
अत्यन्त दुर्लभ कैसे इसके (इनके) द्वारा इस यौवन अवस्था में ग्रहण किये गये
ति
इस प्रकार परीक्षा के लिए
परिक्खत्थं
समस्साए
समस्या का
पूछा गया अभी
अहुणा समओ
(समअ) 1/1
समय
नहीं
अव्यय (संजाअ) भूकृ 1/1 अनि
हुआ
संजाओ किं
अव्यय
पुव्वं
निग्गया
क्यों पहले ही निकल गए उसके हृदय में उत्पन्न भाव को
तीए
हिययगयभावं
नाऊण
जानकर
अव्यय (निग्ग) भूकृ 1/1 अनि (ती) 6/1 स [(हियय)-(गय)-(भाव) 2/1] (ना) संकृ (साहु) 3/1 (उत्त) भूकृ 1/1 अनि [(समय)-(नाण) 1/1] अव्यय (मच्चु) 1/1 (हो) भवि 3/1 अक
साहुणा उत्तं
साधु के द्वारा
कहा गया
समयनाणं
समय, ज्ञान
कया
कब
मृत्यु
मच्चू होस्सइ
होगी
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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