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पच्चक्खं
(पच्चक्ख) 1/1
समक्ष
26.
अव्यय
अब
केगईए रज्जं
कैकेयी के द्वारा राज्य पुत्र के लिए माँगा गया है
पुत्तस्स
(केगई) 3/1 (रज्ज) 1/1 (पुत्त) 4/1 (विमग्गिय) भूक 1/1 (इम) 1/1 सवि (सयल) 1/1 वि (किं) 2/1 स
विमग्गियं
इम
यह
सारा
सयलं किं
क्या
वा
करेमि
वच्छय पडिओ चिन्तासमुद्दे
अव्यय (कर) व 1/1 सक (वच्छय) 8/1 (पड) भूकृ 1/1 [(चिन्ता)-(समुद्द) 7/1] (अम्ह) 1/1 स
पादपूरक करता हूँ (करूँ) हे वत्स! डूब गया हूँ चिन्तारूपी समुद्र में
भरत
27. भरहो गिण्हइ दिक्खं
तस्स विओगम्मि
(भरह) 1/1 (गिण्ह) व 3/1 सक (दिक्खा) 2/1 (त) 6/1 स (विओग) 7/1 (केगई) 1/1 (मर) व 3/1 अक [(अहं)+ (अवि)] अहं (अम्ह) 1/1 स अवि (अव्यय) अव्यय (निच्छय) 3/1 क्रिविअ (हो) भवि 3/1 अक (जअ) 7/1
ग्रहण करता है (कर रहा है) दीक्षा उसके वियोग में कैकेयी मरती है (मर रही है)
केगई मरइ अहमवि
भी
और
निच्छएणं होहामि
निश्चयपूर्वक होऊँगा संसार में
जए
244
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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