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परिसहे जे
(परिसह) 2/2 (जेउ) हेकृ अनि
परीषहों को जीतने के लिए
22. चलणङ्गुलीए
पैरों की अँगुली से भूमि को खोदती हुई
भूमि विलिहन्ती केगई समुल्लवइ
कैकेयी
[(चलण)+ (अंगुलीए)] [(चलण)-(अंगुली) 3/1] (भूमी) 2/1 (विलिह) वकृ 1/1 (केगई) 1/1 (समुल्लव) व 3/1 सक (पुत्त) 4/1 (अम्ह) 4/1 स (सामिय) 8/1 (दा) विधि 2/1 सक (समत्थ) 2/1 वि (इम) 2/1 सवि (रज्ज) 2/1
कहती है पुत्र को
पुत्तस्स'
मज्झ सामिय
हे स्वामी! दे दो
देहि समत्थं
समस्त
इम
यह
रज्जं
राज्य
23.
ता
अव्यय
तब
दसरहो पवुत्तो सुन्दरि पुत्तस्स
दशरथ ने कहा हे सुन्दरी! पुत्र के लिए
तुम
(दसरह) 1/1 (पवुत्त) भूकृ 1/1 अनि (सुन्दरी) 8/1 (पुत्त) 4/1 (तुम्ह) 1/2 स (रज्ज) 1/1 (तुम्ह) 6/1 स (दिन्न) भूकृ 1/1 अनि (अम्ह) 3/1 स (समत्थ) 1/1 वि
रज्जं
राज्य
तुम्हारे
दिन्नं
दे दिया गया है मेरे द्वारा
मए
समत्थं
समस्त
1. 2.
देने के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। यहाँ सकर्मक क्रिया से बने हुए भूतकालिक कृदन्त का कर्तृवाच्य में प्रयोग हुआ है।
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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