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तत्काल
खणेण पडिबुद्धो चिन्तेइ नेहबन्धो दुच्छेज्जो
अव्यय (पडिबुद्ध) भूकृ 1/1 अनि (चिन्त) व 3/1 सक [(नेह)-(बन्ध) 1/1] (दुच्छेज्ज) 1/1 वि
जागृत हुआ सोचता है (सोचा) स्नेह बन्धन जिसका छेदन मुश्किल से हो सके (मुश्किल से छेदा जानेवाला) जीवलोक में
जीवलोगम्मि
(जीवलोग) 7/1
12.
तायस्स
किं
कीरइ पव्वज्जाववसियस्स
(ताय) 4/1 (किं) 1/1 स अव्यय (कीरइ) व कर्म 3/1 सक अनि [(पव्वज्जा)-(ववसिय) 4/1] (पुहइ) 6/1 (पुत्त) 2/1 (ठव) व 3/1 सक (रज्ज) 7/1
पुहईए
पिता के लिए क्या पादपूर्ति के लिए किया जाता है प्रव्रज्या के लिए प्रयत्नशील पृथ्वी का पुत्र को स्थापित करता है राज्य में इसीलिए ही निश्चयसूचक अव्यय पालने के प्रयोजन से
ठवेइ
रज्जे जेणं
अव्यय
चिय
पालणट्ठाए
अव्यय [(पालण)+ (अट्ठाए)] [(पालण)-(अट्ठा) 3/1]
13.
समीपवर्ती होने के कारण
आसन्नेण किमेत्थं
क्या (प्रयोजन)
इमेण खणभंगुरेण देहेणं
(आसन्न) 3/1 वि [(किं) + (एत्थं)] किं (किं) 1/1 स एत्थं (अव्यय) (इम) 3/1 सवि (खणभंगुर) 3/1 वि (देह) 3/1 (दूरहिअ) 7/2 वि
इस क्षणभंगुर देह से दूरस्थित होने पर
दूरट्टिएसु
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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