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________________ 15. सयलटू-विसयजोओ [(सयल+अट्ठ)-(विसय)-(जोओ)] सभी वस्तुओं व इन्द्रिय[(सयल)-(अट्ठ)-(विसय)-(जोअ) 1/1] विषयों का संयोग [(बहु)-(पुण्ण) 6/1] बहुत पुण्यशाली के अव्यय बहु-पुण्णस्स अव्यय नहीं सव्वहा होदि पूर्णतया होता है अव्यय (हो) व 3/1 अक (त) 1/1 स (पुण्ण ) 1/1 वह पुण्णं पुण्य अव्यय भी अव्यय नहीं किसी का कस्स (क) 6/1 स वि सव्वं जेणिच्छिदं अव्यय (सव्व) 2/1 सवि सभी [(जेण) + (इच्छिदं)] जेण (ज) 3/1 स जिसके द्वारा इच्छिदं (इच्छ) भूक 2/1 इच्छित (वस्तु-समूह) (लह) व 3/1 सक प्राप्त करता है लहदि 16. सधणो धनवान वि होदि णिधणो धण-हीणो [(स) वि-(धण) 1/1] अव्यय (हो) व 3/1 अक (णिधण) 1/1 वि [(धण)-(हीण) 1/1 वि] हो जाता है निर्धन धनहीन तह अव्यय उसी तरह और अव्यय ईसरो होदि धनवान हो जाता है (ईसर) 1/1 (हो) व 3/1 अक (राय) 1/1 देखें, संस्कृत-हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे। राया राजा प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 221 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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