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________________ पाठ-6 कार्तिकेयानुप्रेक्षा (जम्म) 1/1 जन्म जम्म मरणेण (मरण) 3/1 मरण के समं संपज्जइ जोव्वणं जरा-सहियं लच्छी विणास-सहिया अव्यय साथ (संपज्ज) व 3/1 अक संलग्न है (जोव्वण) 1/1 यौवन [(जरा)-(सहिय) 1/1 वि] बुढ़ापे के साथ (लच्छी ) 1/1 लक्ष्मी [(विणास)-(सहिय(स्त्री)सहिया) 1/1 वि] विनाश सहित अव्यय इस प्रकार (भंगुर) 2/1 वि विनाशवान (मुण) विधि 2/1 सक जानो इय भंगुरं मुणह अस्थिर अथिरं परियण-सयणं (अथिर) 1/1 वि [(परियण)-(सयण) 1/1] [(पुत्त)-(कलत्त) 1/1] [(सुमित्त)-(लावण्ण) 1/1] पुत्त-कलत्तं सुमित्त-लावण्णं परिवार, सगे-सम्बन्धी पुत्र, स्त्री अच्छे मित्र, शरीर की सुन्दरता घर, गायों का समूह वगैरह सभी गिह-गोहणाइ [(गिह)-(गोहण)+(आइ)] [(गिह)-(गोहण)-(आइ)- 1/2] (सव्व) 1/1 स सव्वं 1. 'सम' के योग में तृतीया होती है। किसी भी कारक में मूलसंज्ञाशब्द काम में लाया जा सकता है। (पिशल, प्राकृत भाषा व्याकरण पृष्ठ 517) 214 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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