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णाणं
(णाण) 1/1
परम ज्ञान
अव्यय (णा) विधिकृ 1/1
निश्चय ही समझा जाना चाहिए
णायव्वं
5.
नहीं
fillriti
जह अव्यय
जैसे णवि
अव्यय लहदि (लह) व 3/1 सक
देखता है अव्यय
बिल्कुल लक्खं (लक्ख ) 2/1
लक्ष्य को रहिओ (रहिअ) 1/1 वि
रथिक कंडस्स (कंड) 6/1
बाण से वेज्झयविहीणो
(वेज्झय) 'य' स्वार्थिक वि-(विहीण) बींधने योग्य, रहित
1/1 वि] तह अव्यय
वैसे ही णवि अव्यय
नहीं लक्खदि (लक्ख) व 3/1 सक
देखता है लक्खं (लक्ख) 2/1
लक्ष्य को अण्णाणी (अण्णाणि) 1/1वि
ज्ञानरहित मोक्खमग्गस्स [(मोक्ख)-(मग्ग) 6/1]
मोक्ष-मार्ग के 6. णाणं (णाण) 1/1
ज्ञान पुरिसस्स' (पुरिस) 6/1
आत्मा में हवदि (हव) व 3/1 अक
होता है लहदि (लह) व 3/1 सक
प्राप्त करता है सुपुरिसो (सु-पुरिस) 1/1
सत्पुरुष अव्यय 'लह' का अर्थ यहाँ देखना है। देखें, संस्कृत-हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे कभी-कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134) कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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