SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ता तब तक कठिन विसमा कज्जगई अव्यय (विसमा) 1/1 वि [(कज्ज)-(गइ) 1/1] अव्यय कार्यों में गति जाव अव्यय जब तक नहीं धीर स्वीकार करते हैं धीरा (धीर) 1/2 वि (पवज्ज) व 3/2 सक पवज्जति 49. अव्यय तब तक ता वित्थिण्णं विस्तीर्ण गयणं आकाश ताव तब तक च्चिय जलहरा अइगहीरा समुद्र अति गहरे ता (वित्थिण्ण) 1/1 वि (गयण) 1/1 अव्यय अव्यय (जलहर) 1/2 [(अइ)-(गहीर) 1/2 वि] अव्यय (गरुय) 1/2 वि (कुलसेल) 1/2 वि अव्यय अव्यय (धीर) 5/1 वि (तुल्लंति) व कर्म 3/2 सक अनि तब तक महान गरुया कुलसेला मुख्य पहाड़ जाव जब तक नहीं धीरेहि तुल्लंति धीरों से तुलना की जाती है 50. मेरु मेरु तिणं तृण जैसे कि व (मेरु) 1/1 (तिण) 1/1 अव्यय (सग्ग) 1/1 [(घर) + (अंगणं)] [(घर)-(अंगण) 1/1] जिससे तुलना की जाती है उसमें पंचमी विभक्ति होती है। सग्गो घरंगणं स्वर्ग घर का आँगन 1. 196 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy