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सूरविरहम्मि
[(सूर)-(विरह) 7/1]
सूर्य के अभाव में
25.
वह मित्र
मित्तं
कायव्वं
बनाया जाना चाहिए जो
किर
(त) 1/1सवि (मित्त) 1/1 (कायव्व) विधिकृ 1/1 अनि (ज) 1/1 स अव्यय (वसण) 7/1 [(देस)-(काल) 7/1] [(आलिह) भूकृ-(भित्ति)-(बाउल्ल) 1/1 'य' स्वार्थिक अव्यय
वसणम्मि देसकालम्मि
निश्चय ही विपत्ति (पड़ने) पर स्थान व समय पर चित्रित, भीत पर, पुतले
आलिहियभित्तिबाउल्लयं
की तरह
व
परंमुहं
अव्यय (परंमुह) 1/1 वि (ठा) व 3/1 अक
नहीं विमुख रहता है
ठाइ
26.
छिज्जउ सीसं
अह
होउ
बंधणं
चयउ
सव्वहा
(छिज्जउ) विधि कर्म 3/1 सक अनि ___ काट दिया जाए (सीस) 1/1
शीश अव्यय
यदि (हो) विधि 3/1 अक
हो जाए (बंधण) 1/1
बन्धन (चय) विधि 3/1 सक
छोड़ दे अव्यय
पूर्णतः (लच्छी ) 1/1
लक्ष्मी [(पडिवन्न) भूकृ अनि-(पालण) 7/1] वचन दी हुई (बात) के
पालन में (सुपुरिस) 6/2
सज्जन पुरुषों का (ज) 1/1 सवि (हो) व 3/1 अक
होता है (त) 1/1 सवि
वह
लच्छी पडिवन्नपालणे
inl t...
सुपुरिसाण
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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