SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धम्मजणणी जयणा धम्मस्स पालणी चेव अव्यय निश्चय ही (धम्म)-(जणणी) 1/1 अध्यात्म की माता (जयणा) 1/1 जागरुकता (धम्म) 6/1 अध्यात्म की (पालणी) 1/1 वि रक्षा करनेवाली अव्यय निश्चय ही [(त)-(व्वुड्डीकरी) 1/1 वि] उसकी वृद्धि करनेवाली (जयणा) 1/1 जागरुकता [(एंगत)+(सुह)+(आवहा)] निरपेक्ष सुख को उत्पन्न [(एंगत) वि-(सुह)-(आवह(स्त्री)आवहा) करनेवाली 1/1 वि] (जयणा) 1/1 जागरुकता तव्वुड्डीकरी जयणा एगंतसुहावहा जयणा 36. जयं जागरुकतापूर्वक चले जयं जागरुकतापूर्वक खड़ा रहे (स्थिर रहे) चिट्टे जयमासे क्रिविअ (चर) विधि 3/1 सक क्रिवि (चिट्ठ) विधि 3/1 सक [(जयं)+ (आसे)] जयं (क्रिविअ) आसे (आस) विधि 3/1 अक क्रिविअ (सअ) विधि 3/1 अक क्रिविअ (भुज) वकृ 1/1 (पाव) वकृ 1/1 (कम्म) 2/1 जयं सए जयं भुंजतो पावं कम्म जागरुकतापूर्वक, बैठे जागरुकतापूर्वक सोये जागरुकतापूर्वक भोजन करता हुआ बोलता हुआ अशुभ (को) नहीं बाँधता है अव्यय (बंध) व 3/1 सक बंध 37. जरामरणवेगेणं [(जरा)-(मरण)-(वेग) 3/1] (वहहह्रवुज्झ) वकृ कर्म 4/2 अनि वुज्झमाणाण जरा-मरण के प्रवाह के द्वारा बहाकर ले जाये जाते हुए प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 152 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy