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इसके लिए अकादमी में अपभ्रंश भाषा के अध्यापन की समुचित व्यवस्था है। अकादमी में अपभ्रंश सर्टिफिकेट कोर्स और अपभ्रंश डिप्लोमा कोर्स विधिवत् निःशुल्क चलाये जाते हैं।
अपभ्रंश भाषा सरल रूप में सीखी जा सके, इस क्रम में 'अपभ्रंश रचना सौरभ' प्रकाशित की गई। उसी क्रम में 'अपभ्रंश काव्य सौरभ' प्रकाशित है। इसमें अपभ्रंश काव्यों से चयनित अंश, उनके हिन्दी अनुवाद, व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ दिये गये हैं। मेरा विश्वास है कि विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागों के लिए यह कृति उपयोगी होगी और विद्यार्थी अपभ्रंश भाषा के काव्यों का रसास्वाद कर सकेंगे।
इस पुस्तक के प्रकाशन में अकादमी के विद्वान् एवं मुद्रण के लिए मदरलैण्ड प्रिण्टिंग प्रेस, जयपुर धन्यवादाह हैं।
भट्टारकजी की नसियाँ सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-4
डॉ. कमलचन्द सोगाणी
संयोजक जैनविद्या संस्थान
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