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ता
नियमणे
चिंतइ पुणु-पुणु
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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(ता) 1 / 1 सवि
[(for) fa-(401) 7/1]
(चित्त) व 3/1 सक
अव्यय
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वह
निज मन में
विचार करती है (करने लगी)
बार-बार
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