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कुलकलि
[(कुल)-(कलि) 2/1] (पुहइ) 2/1
अव्यय
कुटुम्ब का झगड़ा पृथ्वी नहीं देता है देता है
(दा) व 3/1 सक (दा) व 3/1 सक [(वाण)+(आवलि)] [(वाण)-(आवलि) 2/1]
वाणावलि
बाणों की पंक्ति
णवइ
णवइ मुणितंडउ
(तुम्ह) 4/1 स अव्यय (णव) व 3/1 सक (णव) व 3/1 सक [(मुणि)-(तण्डव') 2/1] (अंग) 2/1 अव्यय (कड्ड) व 3/1 सक
तुमको नहीं प्रणाम करता है प्रणाम करता है मुनि समूह को अंग को नहीं बाहर निकालता है (खींचता है) बाहर निकालता है (खींचता है) तलवारों को
कढ़ई
(कड्ड) व 3/1 सक
खंड
(खंड) 2/2
हे देव
नहीं
देता है (देगा)
भाई
तुह
(देव) 8/1 अव्यय (दा) व 3/1 सक (भाइ) 1/1 (तुम्ह) 4/1 स (पोयण) 2/1 अव्यय (जाण) व 1/1 सक (दा) भवि 3/1 सक
पोयणु
तुम्हारे लिए पोदनपुर किन्तु जानता हूँ
पर
जाणमि
देसइ
देगा
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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