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3.
खज्जोएं
रवि
णित्तेइज्जइ
किं
घुट्टेण
जलहि
सोसिज्जइ
4.
गोप्पएण
किं
माणिज्जइ
अण्णा
किं
जिणु
जाणिज्जइ
5.
वायसेण
किं
गरुडु
णिरुज्झइ
णवकमलेण
कुल
किं
विज्झइ
6.
करिणा
किं
मयारि
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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(खज्जोअ) 3 / 1 (रवि) 1 / 1
( णित्तेअ) व कर्म 3 / 1 सक
अव्यय
(घुट्ट) 3 / 1
(जलहि) 1/1
(सोस ) व कर्म 3 / 1 सक
( गोप्पअ ) 3 / 1
अव्यय
( णह ) 1 / 1
( माण ) व कर्म 3 / 1 सक
(अण्णाण ) 3 / 1
अव्यय
(जिण) 1 /
(जाण) व कर्म 3 / 1 सक
1/1
( वायस) 3 / 1
अव्यय
(गरुड) 1 / 1
(णिरुज्झइ ) व कर्म 3 / 1 सक अनि
[(णव) वि- (कमल) 3 / 1]
( कुलिस) 1/1
अव्यय
(विज्झइ ) व कर्म 3 / 1 सक अनि
(करि) 3/1
अव्यय
(मयारि) 1/1
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जुगनू द्वारा
सूर्य
तेजरहित किया जाता है
क्या
घूँट के द्वारा
समुद्र
सुखाया जाता है।
गौ के पैर के द्वारा
क्या
आकाश
मापा जाता है
अज्ञान के द्वारा
क्या
जिनेन्द्र
समझा जाता है
कौए के द्वारा
क्या
गरुड़
रोका जाता है
नूतन कमल के द्वारा
वज्र
क्या
बेधा जाता है
हाथी के द्वारा
क्या
सिंह
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