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________________ प्रस्तुत अध्याय में संज्ञा शब्दों की रूपावली दी जा रही है । इसमें निम्नलिखित शब्दों की रूपावली दी गई है - पाठ-2 संज्ञा - शब्दरूप पुल्लिंग शब्द - देव, हरि, गामणी, साहु, सयंभू, नपुंसकलिंग शब्द - कमल, चारि, महु, स्त्रीलिंग शब्द – कहा, माया, मइ, लच्छी, घेणु, बहू इन शब्दों के अतिरिक्त कुछ और शब्दों की रूपावली भी दी जा रही है जो विशेष प्रकार से चलती है 78 1 (i) संज्ञावाचक पुल्लिंग शब्द - पिउ (पिता) [ भाउ (भाई), जामाउ (जमाता) के रूप पिउ के समान चलेंगे ] । (ii) विशेषरणात्मक पुल्लिंग शब्द - -कत्तु (करनेवाला) [ भत्त ( भरण-पोषण करनेवाला), दाउ ( दाता) के रूप कत्तु के समान चलेंगे ] । (iii) पुल्लिंग शब्द - अप्प, अत ( आत्मा ) [ आत्मा के लिए प्राय या प्रात (अर्द्धमागधी में), आद या चेद (शौरसेनी में ) शब्दों का प्रयोग पाया जाता है, इनके कुछ विभक्तियों के रूप रूपावली में दिए गए हैं] । (iv) पुल्लिंग शब्द - राय (राजा) शौरसेनी व अर्द्धमागधी में अधिकतर प्रयुक्त होनेवाले शब्दरूपों को गहरे काले अक्षरों में दिखाया गया है । Jain Education International [ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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