________________
68. इदमेतत्कि-यत्तद्भ्यष्टो डिरणा 3/59. . .
इदमेतत्कि-यत्तस्यष्टो डिणा {(इदम्)+(एतत्)+(किं)-(यत्)+(तद्भ्यः)+ (टः) + (डिणा) ] [(इदम्) - (एतत्) - (किं) - (यत्) - (तत्) 5/3 ] ट: (टा) 6/1 डिणा (डिणा) 1/1 इदम्+इम, एतत्→एत, एम, किम् →क, यत्+ज, तत्→त से परे टा के स्थान पर डिणा→इणा (होता है)। अकारान्त पुल्लिग सर्वनाम इदम् -- इम. एतत्→एत, एअ, किम् --क, यत्-+ज, तत्+त से परे टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से डिणा-+इणा होता है। इम (पु)- (इदम् +इम+टा) = (इम+इणा) = इमिणा
(तृतीया एकवचन) एत (पु.)-(एतत् -+एत्, एम+टा)=(एत, एम+ इणा)=एतिणा. एइणा ।
(तृतीया एकवचन) क (पु) - (किम्-+क+टा) = (क+इणा) = किरणा
___ (तृतीया एकवचन) न (पु.) - (यत्-+ज+टा) = (ज+इणा) = जिणा
- (तृतीया एकवचन) त (पु.) - (तत्-+त+टा) = (त + इणा) = तिरणा
(तृतीया एकवचन)
69. तदो रणः स्यादौ क्वचित् 3770
तदो णः स्यादौ क्वचित् [ (तदः-ततः)+(ण:)] [(सि)+ (प्रादौ) ] तत: (तत्) 6/1 ग (ण) 1/I [ (सि) - (आदि) 7/1] क्वचित् = कभीकभी (तत् से परे) सि आदि होने पर तत्-+त के स्थान पर कभी-कभी रण (होता
अकारान्त पुल्लिग सर्वनाम तत्-+त से परे सि प्रादि (प्रथमा एकवचन, बहुवचन, द्वितीया एकवचन, बहुवचन प्रादि सभी विभक्तियां) होने पर कभी-कभी
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
[
45
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org