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________________ राज-राय-(राय+जस्)-(राय-+-णो) सूत्र 3/12 का प्रयोग करने पर (राया+णो)=रायारणो (3/12) (प्रथमा बहुवचन) (राय+शस्)= (राय+णो)=(राया+णो)=रायाणो (3/12) (द्वितीया बहुवचन) (राय+जस्)=(राय+०)= (राया+०)=राया(3/12, 3/4) __ (प्रथमा बहुवचन) (राय+शस्)=(राय + )=(राया+.)=राया (3/12, 3/4) (द्वितीया बहुवचन) 50. टोणा 3/51 टोणा [(ट:)+(णा)] ट: (टा) 6/1 रणा (णा) 1/1 (प्राकृत में) राज→राम→राय से परे टा के स्थान पर रणा (विकल्प से) (होता है)। राज→रामराय से परे टा (तृतीया एकवचन के प्रत्यय) के स्थान पर रखा विकल्प से होता है। राज→राम→राय - (राज-+-टा)=(राइ+णा)=राइणा (तृतीया एकवचन) (यहां 'ज' का 'इ' हुमा है 3/52) (राज+टा)= (रण्+णा)=रण्णा (तृतीया एकवचन) (यहाँ राज के प्राज का प्रण हुपा है 3/55) 51. इर्जस्य रणो-रणा-डौ 3/52 इर्जस्य गो-णा-डो [(इ.)+(जस्य)] इ: (इ) 1/1 जस्य (ज) 6/1 [ (णो) -(णा)- (ङि) 7/1] (प्राकृत में) (राज से परे) गो, रणा और हि होने पर ज के स्थान पर इ (विकल्प से) (हो जाता है)। 36 ] [ प्रौढ प्राकृत रचना सोरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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