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(6) दो प्रकार, तीन प्रकार आदि शब्दों को प्रकट करने के लिए संख्यावाची शब्दों में 'विह' लगाकर शब्द बनाए जाते हैं। दुविह=दो प्रकार का, तिविह, चउविह, छविह, सत्तविह, अट्ठविह, दसविह, तेरसविह, चउदसविह, पण्णरसविह, सोलहविह, सत्तरसविह, अट्ठारहविह मादि प्रयोग में लिए जाते हैं।
(x) कइ (कितना) शब्द का प्रयोग तीनों लिंगों के बहुवचन में होता है
कइ (तीनों लिंगों में)
बहुवचन
प्रथमा
कइ (4/448)
द्वितीया
कइ (4/448)
कई हि, कईहिं, कईहिं (3/124, 3/7)
तृतीया चतुर्थी व षष्ठी
कइण्ह, क इव्हं (3/123)
पंचमी
क इत्तो, कईयो, कईउ, कईहितो, कईसुंता (3/124, 3/9, 3/13)
सप्तमी
कईसु (4/448), कईसं (1/27)
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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