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पाठ 1
संज्ञा, सर्वनाम, संख्यावाची शब्द - सूत्र - विवेचन
भूमिका
हेमचन्द्राचार्य ने प्राकृत की व्याकरण लिखी । उन्होंने इसकी रचना संस्कृत भाषा के माध्यम से की। प्राकृत व्याकरण को समझाने के लिए संस्कृत - व्याकरण की पद्धति के अनुरूप संस्कृत भाषा में सूत्र लिखे गये । किन्तु सूत्रों का आधार संस्कृत भाषा होने के कारण यह नहीं समझा जाना चाहिए कि प्राकृत व्याकरण को समझने के लिए संस्कृत के विशिष्ट ज्ञान की प्रावश्यकता है । संस्कृत के बहुत ही सामान्यज्ञान से सूत्र समझे जा सकते हैं । हिन्दी, अंग्रेजी आदि किसी भी भाषा का व्याकरणात्मक ज्ञान भी प्राकृत - व्याकरण को समझने में सहायक हो सकता है ।
अगले पृष्ठों में हम प्राकृत - व्याकरण के संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि के सूत्रों का विवेचन प्रस्तुत कर रहे हैं। सूत्रों को समझने के लिए स्वरसन्धि, व्यंजनसन्धि तथा विसर्गसन्धि के सामान्य ज्ञान की श्रावश्यकता है* । साथ ही संस्कृत-प्रत्ययसंकेतों का ज्ञान भी होना चाहिए तथा उनके विभिन्न विभक्तियों में रूप समझे जाने चाहिए । प्राकृत में केवल दो ही वचन होते हैं – एकवचन तथा बहुवचन | अतः दो ही वचनों के संस्कृत - प्रत्यय - संकेतों को समझना आवश्यक है । ये प्रत्यय - संकेत निम्न प्रकार हैं
विभक्ति
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
पंचमी
एकवचन के प्रत्यय
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प्रोढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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षष्ठी
सप्तमी
* सन्धि के नियमों के लिए परिशिष्ट देखें ।
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बहुवचन के प्रत्यय
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