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(2) अकर्मक क्रियाएँ
वड्ढ विअस लोट्ट चुअ कुद्द
जगड
= बढ़ना, = खिलना, - सोना, लोटना = टपकना, = कूदना, = जन्म लेना, = झगड़ा करना, = जागना, = उपस्थित होना, = अफसोस करना, = ठहरना, बैठना, = छूटना, = होना, - रमना,
चेट्ट = प्रयत्न करना गुंज = गूंजना सिज्झ = सिद्ध होना जल = जलना उच्छह = उत्साहित होना चुक्क = भूल करना लोभ = लालच करना कील = क्रीड़ा करना कील = कीलना (मंत्रादि से) घट = कम होना, घटना चिराव = देर करना तव = तपना वस = बसना फुर = प्रकट होना
जागर
विज्ज खिज्ज चिट्ठ
हव रम
उपुर्यक्त सभी संज्ञा शब्द अकारान्त नपुंसकलिंग हैं। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं।
2.
अपभ्रंश रचना सौरभ
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