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________________ तुम नाचने के लिए उठो। तुहूं णच्चेवं/णच्चण/णच्चणहं/णच्चणहिं/ णच्चेप्पि/णच्चेप्पिणु/णच्चेवि/ णच्चेविणु उछ तुहुं णच्चेवं/णच्चण/णच्चणहं/णच्चणहिं/ णच्चेप्पि/णच्चेप्पिणु/णच्चेवि/ णच्चेविणु उठेसहि = तुम नाचने के लिए उठोगे। इसी प्रकार अन्य पुरुषवाचक सर्वनामों के साथ वाक्य बना लेने चाहिये। निम्नलिखित वाक्यों में हेत्वर्थक कृदन्तों के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये - (1) वह थकने के लिए नाचता है। (2) वह बैठने के लिए गिरती है। (3) वे लड़ने के लिए छिपते हैं। (4) तुम सब उठने के लिए बैठो। (5) हम खेलने के लिए घूमेंगे। (6) तुम दोनों खुश होने के लिए जीवो। (7) वे सोने के लिए थकें। (8) वह जागने के लिए प्रयास करे। (9) वे नाचने के लिए उठेगे। (10) वे कूदने के लिए उठेगी। क्रिया के अन्त में प्रत्यय लगने पर जो शब्द बनता है, वह कृदन्त कहलाता है। हँसने के लिए, नाचने के लिए, जीने के लिए आदि भावों को प्रकट करने के लिये अपभ्रंश में उपर्युक्त प्रत्यय काम में लिए जाते हैं। इन प्रत्ययों के लगने के पश्चात् जो शब्द बनते है, वे हेत्वर्थक कृदन्त कहलाते हैं। ये शब्द अव्यय होते हैं, इसलिए इनका रूप परिवर्तन नहीं होता है। हेत्वर्थक कदन्त के अन्तिम चार प्रत्यय (एप्पि, एप्पिण, एवि, एविण) संबन्धक भूत कृदन्त के समान हैं, प्रसंग देखकर ही अर्थ लगाना होगा। उपर्युक्त सभी प्रत्यय अकर्मक क्रियाओं में लगाए गए हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। अपभ्रंश रचना सौरभ 47 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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